बचपन में मैंने सोचा था, वास्कोडिगामा बन जाऊंगा !
जब दूंढूंगा सपनो का भारत,एक कागज की नाव बनाकर !!
नाव खुलेगी आँगन मेरे, होंगे उसमें लोग बहुतेरे !
मैं ,संता ,इब्राहम ,थोमस -राधा, मलिका और मिरामस !!
मैं लाऊंगा पूरी- जलेबी ,मलिका लाये दूध- सेवई
हलवा तो संता ही लाये,ईद और होली साथ मनाएं !!
मिरामस की उपमा खा खा कर,खूब मनाएंगे हम क्रिसमस !!
सोचता रहता था मैं हर पल,सोहन को लूं , या ना लूं
अपनी चीजें खुद खाता है,हम सब को सिहाता है !!
फिर मैंने टीवी पर एक दिन "भारत एक खोज" है देखा
लम्बा कुरता और टोपी में एक नए इंसान को देखा !!
सायद यह है वास्कोडिगामा,.....
पुछा जब मैंने बाबा से,बोले ये हैं चाचा नेहरु !!
मैं तब फिर पड़ गया सोच में,फिर मैंने बाबा से पुछा
भारत को किसने है खोजा ?
बाबा भी पर गए सोच में,आँखे बंद कर लम्बी सांस ले
बोले बस इतना समझ ले ,अपने हिस्से के भारत को सबने अपने ढंग से खोजा !!
बात मेरे कुछ समझ ना आई, फिर भी मैंने ली अंगराई
इच्छा मेरी और दृढ हुई,चाचा नेहरु बन जाऊंगा
जब दूंढूंगा अपना एक भारत, एक कागज की नाव बनाकर !!